एक छोटे से गाँव में दो अच्छे दोस्त रहते थे – राजू और सोहन। दोनों बचपन से ही एक-दूसरे के साथ खेलते, पढ़ते और हर खुशी-ग़म में साथ रहते थे। राजू बहुत ही मेहनती था, जबकि सोहन थोड़ा आलसी था। लेकिन दोनों का दिल एक-दूसरे के लिए बहुत बड़ा था।
एक दिन गाँव में एक बड़ा मेला लगा। दोनों दोस्त मिलकर मेले में जाने का मन बनाते हैं। मेले में बहुत सारी दुकानें, झूले, और खाने-पीने की चीजें थीं। दोनों दोस्त बहुत खुश थे और मेले का आनंद ले रहे थे।
जब वे झूला झूलने के लिए गए, तो राजू ने सोहन से कहा, “चलो, हम दोनों मिलकर सबसे ऊँचे झूले पर चलते हैं।” सोहन थोड़ा डरते हुए बोला, “नहीं, मुझे डर लगता है।” राजू ने उसे समझाया, “तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हारे साथ हूँ। डरने की कोई बात नहीं है।”
राजू ने सोहन का हाथ पकड़ा और उसे झूले पर चढ़ने के लिए उत्साहित किया। जैसे ही झूला ऊँचा हुआ, सोहन की धड़कन तेज हो गई, लेकिन राजू ने उसे दिलासा दिया और धीरे-धीरे उसे साहस दिया। थोड़ी देर बाद, सोहन को समझ में आ गया कि डर केवल मन का एक भ्रम था। उसने झूला झूलते हुए खुशी महसूस की और राजू का धन्यवाद किया।
मेला खत्म होने के बाद, दोनों दोस्त घर लौट रहे थे। रास्ते में सोहन ने राजू से कहा, “तुमने आज मुझे सच्ची दोस्ती का मतलब समझाया। मुझे कभी भी अपनी कमजोरियों से डरने की ज़रूरत नहीं है, जब तक तुम मेरे साथ हो।” राजू मुस्कुराया और कहा, “दोस्ती का मतलब यही है, दोस्त। जब तक हम एक-दूसरे का साथ देते रहेंगे, कोई भी मुश्किल हमें नहीं हरा सकती।”
इस घटना के बाद, सोहन ने अपनी आलस्य को छोड़ दिया और राजू की तरह मेहनत करने लगा। दोनों दोस्त हमेशा एक-दूसरे के साथ रहे और जीवन की कठिनाइयों का सामना एकजुट होकर किया।
सीख: सच्ची दोस्ती वह होती है, जो किसी भी मुश्किल में एक-दूसरे का साथ देती है और एक-दूसरे को आत्मविश्वास और साहस देती है।
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